वास्तविक तत्त्व तो अद्वैत ही है, पर भजनके लिये द्वैत है ।
3.
उन्होंने उक्त दार्शनिकों के संघर्ष को देखा और अनुभव किया कि परस्पर के आग्रह से वास्तविक तत्त्व लुप्त हो रहा है।
4.
श्रीकृष्ण का जो वास्तविक तत्त्व है वही नाली के कीड़े का भी वास्तविक तत्त्व है, लेकिन वह अभागा नहीं जानता है।
5.
श्रीकृष्ण का जो वास्तविक तत्त्व है वही नाली के कीड़े का भी वास्तविक तत्त्व है, लेकिन वह अभागा नहीं जानता है।
6.
उन्होंने धर्म और परमात्मा के वास्तविक तत्त्व को समझ लिया था और वे किसी भी प्रकार के अंधविश्वास को स्वीकार करने को तैयार न थे।
7.
परन्तु राग-द्वेष न होनेपर साधक सत्यकी खोज करता है कि जब वास्तविक तत्त्व एक ही है, तो फिर मतभेद क्यों है? इसलिये वह मुक्तिमें भी सन्तोष नहीं करता ।
8.
धर्म का असली सार बाह्य पूजा, कर्मकांड और परंपरायें नहीं हैं, वरन् उसका वास्तविक तत्त्व है, अपने आप को जीतना ; इंद्रियों को वश में रखना सुख-दुःख, हानि-लाभ में एक सा भाव रखना धर्म का सबसे बड़ा लक्षण है।
9.
लालुदाई ने इन नगर जनों को तेज आवाज में डाँटा-क्या बेकार की बकवास लगा रखी है तुम लोगों ने? आखिर रखा ही क्या है उन सारिपुत्र और मौदगलायन में? धर्म के वास्तविक तत्त्व से अनजान तुम लोग कंकड़-पत्थरों को हीरे समझ बैठे हो।
10.
ऐसा ही अपने निष्कपट उत्कट परम श्रध्दालु एवं सर्वतोभावेन समर्पित शरणागत जिज्ञासुओं को अज्ञान रूप माया का पर्दा हटाकर अपना कृपा पात्र बनाकर अपना यथार्थ यानी ' वास्तविक तत्त्व ' रूप परमतत्तवं रूप आत्मतत्त्वम् शब्दरूप अद्वैत्तत्त्वम् को दिखला देते हैं तथा अपने अनन्य समर्पित-शरणागत भक्तों-सेवकों को अपने में भक्ति-सेवा प्रदान करते हुये अपना प्रेम-पात्र बना लेते हैं, तब मध्य में भी लक्ष्य रूप रहस्य को समझा-बुझा कर मुक्ति और अमरता का भी साक्षात् बोध कर-करा देते हैं, तो मध्य में भी अन्यथा सामान्य सृष्टि लय विधान से अन्त में अपने में लय-विलय हो जाया करती है ।